Class 10th Sanskrit Subjective (संस्कृत) बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 14 का अब्जेक्टिव प्रश्न पीडीएफ़ Bihar Board (Matric मैट्रिक) vvi Subjective in Hindi pdf
शास्त्रकारा:
1. गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बतलाया गया है?
उत्तर-गुरु के द्वारा यही बतलाया गया है कि शास्त्र से मानव को कर्त्तव्य का ज्ञान प्राप्त होता है। शास्त्र वेद स्वरूप हो अथवा ऋषियों द्वारा रचित हो ।
2. ‘शास्त्रकारा:’ पाठ में वर्णित वैज्ञानिक शास्त्रों पर प्रकाश डालें।
उत्तर – चरक संहिता एवं सुश्रुत आयुर्वेद में शास्त्रकार के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान समाहित है। आर्यभट्ट का ग्रंथ आर्यभट्टीयनामा जिसमें खगोल एवं गणित है। बराहमिहिर का बृहस्पति संहिता पराशर मुनि द्वारा रचित कृषि विज्ञान आदि वैज्ञानिक पुस्तकों से भारतीय विज्ञान की जानकारी मिलती है।
3. भारतीय शास्त्रकारों का परिचय दें।
उत्तर — भारतीय शास्त्रकारों में चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, गौतम, वशिष्ठ, पाणिनि आदि प्रसिद्ध हैं। चरक द्वारा चरक संहिता और सुश्रुत द्वारा सुश्रुत संहिता ये आयुर्वेदशास्त्र से संबंधित है। कृषि विज्ञान पराशर ऋषि द्वारा रचित है। कर्मकाण्डग्रंथ के रचयिता बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ऋषि हैं। व्याकरण पाणिनि द्वारा लिखित है । छन्दशास्त्र पिंगल रचित ग्रंथ है। लगध ने वेदांग ज्योतिष ग्रंथ की रचना की है। सांख्यदर्शन के प्रवर्तक कपिलमुनि हैं। योगदर्शन के पतंजलि, न्यायदर्शन के गौतम और वैशेषिक दर्शन के कणाद प्रवर्तक हैं। मीमांसा के जैमिनी तथा वेदांतदर्शन के बादरायण (व्यास) हैं।
4. ‘शास्त्रकारा:’ पाठ के आधार पर संस्कृत की विशेषता बतायें।
उत्तर—’शास्त्रकाराः’ पाठ में शास्त्रों की परंपरा, शास्त्रकारों का परिचय, वेद, दर्शन आदि तथा उसके प्रवर्तक का परिचय दिया गया है। पाठ से पता चलता है कि शास्त्र आदि की रचना संस्कृत में ही है। शास्त्रों के प्रमाण समस्त ज्ञान का मार्ग स्वरूप है। शास्त्र ज्ञान का शासक होता है, जो मनुष्य को कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य विषयों की वह शिक्षा देता है। शास्त्रकारों के अनुसार सांसारिक विषयों में अनुरक्ति अथवा विरक्ति मानवरचित विषयों का ज्ञान मिलता है। यह हमें ग्रहण करने योग्य एवं त्यागने योग्य आचरण की शिक्षा देता है। संस्कृत शास्त्रों से सत्य-असत्य की सही जानकारी मिलती है। क्या मानव द्वारा रचित है अथवा ईश्वर प्रदत्त है का ज्ञान यहीं से मिलता है।
5. शास्त्रकाराः पाठ में किस विषय पर चर्चा की है?
उत्तर—–शास्त्रकाराः पाठ में शास्त्रों एवं शास्त्रकारों की चर्चा की गई है। शास्त्रों के लक्षण बताये गये हैं। प्राचीन भारतीय विज्ञान के शास्त्रकारों के नाम से प्रसिद्ध आयुर्वेद की चरक संहिता और सुश्रुत संहिता की चर्चा की गई है। इसमें रसायन और भौतिक विज्ञान का वर्णन है। इस पाठ में गणित तथा खगोलशास्त्र के आर्यभट्टीय, विभिन्न विषयों के वर्णन से युक्त बराहमिहिर की वृहत्संहिता और पराशर के कृषि विज्ञान आदिशास्त्रों की चर्चा की गई है।
6. शास्त्र मनुष्यों को किन-किन चीजों का बोध कराता है?
उत्तर – शास्त्र का अर्थ है- ज्ञान का शासक । यह मानवों के कर्तव्य एवं अकर्तव्यों की शिक्षा देता है । सांसारिक विषयों में अनुरक्ति और विरक्ति का ज्ञान लोगों को शास्त्र से ही प्राप्त होता है। पाश्चात्य देशों में इसे अनुशासन कहा जाता है।
7. वेदाङ्शास्त्र कितने और कौन-कौन हैं? इनके क्या उद्देश्य है?
उत्तर— वेदाङ्गशास्त्र छ: है – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष । शिक्षा उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान कराती है। कल्प सूत्रात्मक कर्मकांड ग्रंथ हैं। व्याकरण वर्ण, शब्द, वाक्य आदि का अध्ययन कराता है। निरुक्त का कार्य वेद के अर्थ का बोध कराना है । छन्द सूत्र ग्रन्थ है। ज्योतिष वेदाङ्ग ग्रंथ है। ये सभी हमें कर्त्तव्य, अनुशासन सांसारिक विषयों में अनुरक्ति अथवा विरक्ति आदि का बोध कराता है।
8. वेदांग कितने हैं? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें।
उत्तर – वेदांग छ: हैं— शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष | शिक्षा के प्रवर्तक पाणिनी है और इनका पाणिनीय शिक्षा प्रसिद्ध ग्रन्थ है। कल्प के प्रवर्तक बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि ऋषि है, इनलोगों के नाम से ही इनके कर्मकांड विषयक शास्त्रीय ग्रन्थ जाने जाते हैं। व्याकरण के प्रवर्तक पाणिनी हैं, इनका पाणिनीय व्याकरण प्रसिद्ध है । निरूक्त के प्रवर्तक यास्क हैं, इनका निरूक्त प्रसिद्ध ग्रन्थ है । छन्द के प्रवर्तक पिंगल ऋषि हैं, इनका प्रसिद्ध ग्रन्थ पिंगल सूत्र ग्रन्थ है। ज्योतिष के प्रवर्तक लगध ऋषि हैं, इनका वेदांग ज्योतिष प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
9. ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत कौन-कौन शास्त्र हैं तथा उनके प्रमुख ग्रंथ कौन से हैं?
उत्तर—ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत खगोल विज्ञान और गणित शास्त्र है। लगध रचित ज्योतिषशास्त्र ग्रंथ है, जो वेदांग है।
10. कल्प ग्रन्थों के प्रमुख रचनाकारों का नामोल्लेख करें।
उत्तर—कल्प सूत्रात्मक कर्मकाण्ड ग्रंथ है। बौद्धायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ऋषि इसके रचनाकार हैं।
11. भारतीय दर्शनशास्त्र एवं उनके प्रवर्तकों की चर्चा करें।
उत्तर— भारतीय दर्शनशास्त्र एवं उनके प्रवर्तक मुख्य रूप से हैं- सांख्य दर्शन के प्रर्वतक कपिल, योगदर्शन के पतंजलि, न्यायदर्शन के गौतम, वैशेषिक दर्शन के कणाद, मीमांसादर्शन के जैमिनि और वेदान्त दर्शन के प्रवर्तक वादरायण हैं।
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