भूमिका – भारत को पर्वों का देश कहा जाता है। होली, दीपावली, दशहरा, ईद आदि सामाजिक या जातीय पर्व हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, महात्मा गाँधी का जन्म दिवस आदि राष्ट्रीय पर्व कहलाते हैं। सामाजिक पर्व हरेक जाति अपने-अपने समाज में एक-दूसरे के साथ मिलकर मनाते हैं किन्तु राष्ट्रीय पर्व सम्पूर्ण देशवासी बिना जातिगत प्रथा के सम्पूर्ण राष्ट्र के हित तथा श्रद्धा के साथ मनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस हमारा प्रमुख राष्ट्रीय पर्व है।
संघर्ष की गाथा — सन् 1947 में आज के दिन ही दो सौ वर्षों की दासता की जंजीरें तोड़कर हमारा देश स्वाधीन हुआ। हमें यह स्वतंत्रता अंग्रेजों ने उदारतापूर्वक ऐसे ही दान या भेंट में नहीं दी। इसके लिए हम भारतवासियों को अंग्रेजी शासन के विरुद्ध वर्षों संघर्ष करना पड़ा। जहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन चलाकर लाठी – गोली खाई और कठोर कारावास के दंड झेले वहीं तात्या टोपे, भगत सिंह, चन्द्रशेखरं आजाद, सुखदेव, राजगुरु, असफाख उल्ला, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे महान् क्रांतिकारियों ने भारत माता को आजाद कराने के लिए फाँसी के फंदों को हँसते-हँसते चूम लिया।
परिणति — कठोर तथा लंबे अनवरत संघर्ष के कारण 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी सौंपने के लिए अंग्रेजों को विवश होना पड़ा। तब से हमारा देश आजाद है।
पर्व की महत्ता — देश की आजादी के लिए अपने प्राण निछावर करनेवाले शहीदों के बलिदान की याद में तथा अपनी आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हमारे इस स्वतंत्रता दिवस का सर्वोत्कृष्ट महत्त्व है। इसी उद्देश्य से यह दिन उल्लास तथा संकल्प के साथ हर वर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
उपसंहार — हम भारतवासियों का यह प्रथम कर्तव्य है कि अपने देश की आजादी और मान-सम्मान में अपना समर्पण अपना समर्पण बनाए रखें।