Class 10th Sanskrit Subjective (संस्कृत) बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 7 का अब्जेक्टिव प्रश्न पीडीएफ़ Bihar Board (Matric मैट्रिक) vvi Subjective in Hindi pdf
नीतिश्लोकाः
1. ‘नीतिश्लोकाः ‘ पाठ के आधार पर ‘मूढचेता नराधम्’ के लक्षणों को लिखें।
उत्तर – बिना निमंत्रण का प्रवेश करनेवाले, बिना पूछे अधिक बोलनेवाले; विश्वास न करने योग्य पर भी विश्वास करनेवाले व्यक्ति को मूढ़ चेतनावाला नीच पुरुष कहा गया है।
2. कुल की रक्षा कैसे होती है?
उत्तर – कुल की रक्षा सदाचार / आचरण से होती है।
3. पण्डित किसे कहा जाता है ?
उत्तर – नीति श्लोकाः पाठ में जो सभी जीवों के रहस्यों को जानता है तथा सभी प्रकार के कर्मों में कुशल होता है। सभी प्रकार के उपायों को जानता है। वैसे ही मनुष्यों को पण्डित कहा गया है।
4. ‘नीतिश्लोकाः ‘ पाठ से किसी एक श्लोक को साफ-साफ शब्दों में लिखें।
उत्तर- सत्येन रक्ष्यते धर्मों, विद्या योगेन रक्ष्यते ।
मृजया रक्ष्यते रूपं, कुलं वृत्तेन रक्ष्यते । ।
5. ” नीतिश्लोकाः ” पाठ में पुरुषों के कौन से छः दोष बताये गये हैं ?
उत्तर— नीतिश्लोकाः पाठ में पुरुषों के छः प्रकार के दोष बताए गए हैं— निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता । इन दोषों के कारण ऐश्वर्य प्राप्ति में बाधाएँ उत्पन्न होती है। नींद, आलस्य, तन्द्रा, देरी से काम करना, क्रोध और डर मनुष्य की सफलता में बाधक हैं। अतः इनका त्याग करना चाहिए ।
6. “ नीतिश्लोकाः ” पाठ के अनुसार धर्म, विद्या, रूप और कुल की रक्षा किन-किन से होती है?
उत्तर – कवि के अनुसार धर्म की रक्षा सत्य से होती है। विद्या की रक्षा योग से होती है। रूप की रक्षा उपटन से होती है। कुल की रक्षा अच्छे आचरण से होती है।
7. कवि ने ” नीतिश्लोकाः ” में किसके संबंध में “वक्ता श्रोता च दुर्लभ’ कहा गया है ?
उत्तर- कल्याण की बात अप्रिय होती है। उसे सुनने वाले एवं बोलने वाले इस संसार में बहुत कम ही लोग होते हैं। इन्हीं के संबंध में ” नीतिश्लोकाः ” पाठ में वक्ता और श्रोता दुर्लभ कहा गया है।
8. ‘नीतिश्लोकाः ‘ पाठ में ‘क्षमा’ किसे कहा गया है?
उत्तर— नीतिश्लोकाः पाठ में क्षमा के बारे में कहा गया है कि जिसने यह सीख लिया, वह सदा शांति महसूस करता है। उसका कोई विरोध नहीं करता है। क्षमा रूपी गुण मनुष्य को विनयशील बना देता है। वह सबों का प्रिय बन जाता है।
9. ‘नीतिश्लोकाः ‘ पाठ के आधार पर पण्डित के लक्षण क्या हैं?
उत्तर – नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर पण्डित के लक्षण जिसके कर्म में सर्दी-गर्मी, भय – आनंद और उन्नति – अवनति विघ्न नहीं डालता वही पण्डित है। सभी जीवों के सत्य को जाननेवाले सभी कर्मों को जाननेवाले और मनुष्यों के उपाय को जाननेवाले व्यक्ति पण्डित होते हैं।
10. नीतिश्लोकाः पाठ में ‘स्त्रियों’ के बारे में क्या कहा गया है ?
उत्तर- पाठ के अनुसार स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी होती है। इसी के सद्प्रयास एवं सद्व्यवहार से घर की प्रतिष्ठा बढ़ती है। महापुरुष भी इन्हीं के गर्भ से उत्पन्न हुए, इसलिए यह पूजनीय एवं रक्षणीय है। इनके कुशल संचालन पर ही उन्नति और अवनति निर्भर रहती है। कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता । “
11. नीतिश्लोकाः पाठ के अनुसार धर्म किसे कहा गया है?
उत्तर – नीतिश्लोकाः पाठ में विदुर का कथन है कि धर्म अर्थात् जिसने मानवता के मूल्यों को समझ लिया वह हमेशा सम्मान पाता है। ऐसा व्यक्ति धर्मानुकूल काम करता है। सबके साथ समान व्यवहार करता है तथा दूसरों के दुःख से दुःखी और सुख से सुखी होता है।
12. ” नीतिश्लोकाः ” पाठ के आधार पर धर्म, विद्या और सुंदरता की रक्षा कैसे होती है?
उत्तर – सत्य बोलने से धर्म की रक्षा होती है । निरन्तर अभ्यास से विद्या की वृद्धि होती है। स्नान आदि से सुंदरता या स्वच्छता बनी रहती है ।
13. “नीति श्लोकाः ” पाठ में कल्याण चाहने वालों को कौन-कौन दोषों को त्याग देना चाहिए?
उत्तर – जो मनुष्य कल्याण चाहते हैं, उन्हें कुछ दोषों को त्याग देना होगा, जैसे— नींद, खुमारी, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता आदि दोषों से मुक्त होना होगा। तभी जीवन में कल्याण हो सकेगा। नहीं तो उपर्युक्त दोषों के रहने पर जीवन दुःखमय हो जाता है।
14. छः प्रकार के दोष कौन हैं? पठित पाठ्य के आधार पर वर्णन करें।
उत्तर— “ नीतिश्लोकाः ” पाठ में छः प्रकार के दोषों का वर्णन है जो निम्न हैं— निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस और देर से काम करने की आदत अर्थात् दीर्घसूत्रता ।
नीतिकार का कहना है कि मनुष्य में विद्यमान ये छः दोष सुख की प्राप्ति नहीं करा सकता है। क्योंकि अधिक निद्रा के कारण समय पर काम पूरा नहीं हो सकता है। तंद्रावश काम पीछे रह जाता है। भय के चलते काम शुरू नहीं कर पाता। क्रोध काम को बिगाड़ देता है। आलस्य समय का दुरुपयोग करता है तथा दीर्घसूत्रता कामों को कल पर छोड़ देता है। उपरोक्त दोष मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है।
15. अपनी प्रगति चाहने वाले को क्या करना चाहिए?
उत्तर— अपनी प्रगति चाहने वाले को निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता इन छः दोषों को त्याग देना चाहिए।
16. सुखावहा कौन होता है?
उत्तर – जो व्यक्ति एक धर्म पर रहता है और क्षमाशील होता है। सभी प्राणियों के प्रति अहिंसा का भाव रखता है तथा विद्या प्राप्त कर आत्म शान्ति को प्राप्त करता है। वही व्यक्ति ” सुखावहा” होता है।
17. ‘नीतिश्लोकाः ‘ पाठ के आधार पर मूर्ख कौन है ?
उत्तर— ‘नीतिश्लोक’ पाठ में कहा गया है कि जो बिना बुलाए सभा में आता है, बिना
कहे कुछ बोलता कुछ बोलता है नहीं विश्वास करने योग्य पर भी विश्वास करता है वही
मूर्ख है।
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