स्वास्थ्य और व्यायाम – Swasthya aur Vyayam

स्वस्थ तन-मन के बिना जीवन बोझ — जीवन एक आनंद है। इस आनंद का अनुभव वही व्यक्ति कर सकता हैं, जिसका तन और मन दोनों स्वस्थ हो । यदि तन-मन स्वस्थ न रहे तो जीवन में कोई रस नहीं मिलता। कोई सफलता नहीं मिलती। अस्वस्थ व्यक्ति का जीवन व्यर्थ का बोझ बन जाता है।

शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम — अच्छे स्वास्थ्य के लिए तन और मन दोनों का व्यायाम जरूरी होता है। तन के व्यायाम के लिए चाहिए – खेल – कूद, योगासन, कसरत आदि। मन के व्यायाम के लिए अपेक्षित है- अच्छे साहित्य का पठन-पाठन और सत्संगति । अच्छे विचारों और भावों के संपर्क में रहने से मन का व्यायाम होता है। शारीरिक क्रियाओं जैसे – खेल – कूद के विभिन्न प्रकारों से शरीर के रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है और स्वास्थ्य उत्तम हो जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम – मन को स्वस्थ रखने का आशय है- अपने उमंग, प्रेम, उत्साह, करूणा आदि भावों को स्वाभाविक बनाये रखना । मन को घृणा, द्वेष या निंदा में न फँसने देना। इसके लिए साहित्य पढ़ना चाहिए । महापुरूषों की जीवनियाँ पढ़नी चाहिए। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने पर मन भी अपने स्वाभावित्र रूप में बना रहता है। अतः शारीरिक व्यायाम मन को शक्ति प्रदान करते हैं।

स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण — जिस समाज से व्यक्ति स्वस्थ होते हैं, वह समाज भी स्वस्थ बनता है। ऐसा समाज ही प्रेम और करूणा का परिचय दे पाता है। यही कारण है कि अस्वस्थ शरीर वाले नगरीय समाज में चोरी और गुंडागर्दी की घटनाएँ अधिक होती हैं। स्वस्थ समाज के लोग समाज में घुसे शत्रुओं का एकजुट होकर मुकाबला करते हैं।

निष्कर्ष — अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए व्यायाम अनिवार्य कार्य है। व्यायाम की महत्ता का बखान करते हुए किसी कवि ने इसके द्वारा प्राप्त होने वाले लाभों के बारे में कहा है-