Class 10th Sanskrit Subjective (संस्कृत) बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 10 का अब्जेक्टिव प्रश्न पीडीएफ़ Bihar Board (Matric मैट्रिक) vvi Subjective in Hindi pdf
मन्दाकिनीवर्णनम्
1. किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है?
उत्तर – हिरण समूह के द्वारा जल पीने से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया है।
2. ‘मंदाकिनी वर्णनम्’ पाठ में ऋषि लोग किनकी उपासना करते हैं?
उत्तर – श्री राम सीता को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे सीते ! ये ऋषिश्रेष्ठ अपनी बाँहों को ऊपर किये हुए सूर्य की उपासना करते हैं। सूर्य सृष्टि के आदिदेव माने जाते हैं। इन्हीं से संसार प्रकाशित होता है। उसी ज्ञान रूपी प्रकाश की प्राप्ति के लिए मुनिगण नियमतः उनकी उपासना करते हैं। मंदाकिनी की जलराशि में हाथ उठाए मुनियों को देखकर अपूर्व आनंद का अनुभव हो रहा है।
3. “मंदाकिनी वर्णनम् ” पाठ में किस स्थान पर गंगा का चित्र प्रस्तुत किया ‘गया है? वर्णन करें।
उत्तर — श्रीराम वनगमन के क्रम में सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में ठहरे थे । वे वहाँ प्रवाहित मन्दाकिनी की अनुपम छटा का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं— पर्वतों, फूल – फलों से लदे वृक्षों, ऋषि-मुनियों के आश्रम आदि के कारण यहाँ मन्दाकिनी की शोभा मनोरम हो गई है?
4. “मंदाकिनी वर्णनम् ” पाठ में ‘राम’ सीता को किन-किन रूपों में संबोधित करते हैं?
उत्तर – ‘ मन्दाकिनी वर्णनं पाठ में श्रीराम का मन अनायास नदी की प्राकृतिक छटा को देखकर अहलादित हो जाता है। वहाँ का निर्मल जल, रंग-विरंगी छटा, पर्वत, वृक्ष आदि की शोभा वशीभूत करने वाली है। ‘श्रीराम’ सीता को इसकी सुन्दरता का निरीक्षण करने के लिए भाव प्रकट करते हैं। हे सीते! प्रिये ! विशालाक्षित! शोभने ! आदि संबोधन से प्रकट करते हैं।
5. ‘मंदाकिनी वर्णनम’ पाठ के आधार पर गंगा का वर्णन तीन वाक्यों में करें।
उत्तर — वनवास की अवधि में श्रीराम सीता से मन्दाकिनी की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन कर रहे हैं। वे सीता से कह रहे हैं कि इस नदी की सुंदरता फूलों और फलयुक्त वृक्षों से बढ़ गई है। ऋषियों के संपर्क से इसकी महत्ता और बढ़ गई है। नदी के दोनों ओर पर्वतों एवं उस पर फूलों की लताएँ साथ हीं तरह-तरह के पक्षियों के मधुर आवाज से वातावरण मनोरम हो गया है।
6. “ मंदाकिनी वर्णनम् ” पाठं के आधार पर मंदाकिनी नदी की शोभा का वर्णन करें।
उत्तर – कवि वाल्मीकि के अनुसार ‘मंदाकिनी के तट सुंदर हैं। इसमें हंस, सारस आदि तैरते रहते हैं। यहाँ के तट रंग-बिरंगे फूलों से शोभायमान है। इसके तट पर फल और फूल से पूर्ण वृक्ष है। मृगयूथों का समूह जल पी रहे हैं। वल्कल – जटाधारी, मृगचर्म से युक्त ऋषियों के समूह इसमें स्नान कर सूर्य की उपासना करते हैं। इसके पास पर्वत विराजमान हैं जो इसके सुंदरता में
चार चाँद लगाने का काम करता
7. ‘मन्दाकिनीवर्णनम् ‘ पाठ में चित्रकूट की प्राकृतिक शोभा कैसी है?
उत्तर – श्रीराम सीता का ध्यान उस ओर आकृष्ट करते हुए कहते हैं कि हे सीते । रंग-बिरंगे तटों वाली मंदाकिनी नदी देखो । खिले फूल और जल-विहार करता हुआ हंस- सारस पक्षियों के समूह को देखकर मन में आनंद का संचार हो रहा है। चित्रकूट प्राकृतिक उपादानों से इतना सम्पन्न था कि श्रीराम वहाँ की सौंदर्यता से आकृष्ट हुए बिना नहीं रह सके ।
8. चित्रकूट की गंगा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर— वनवास काल में राम सीता और लक्ष्मण के साथ जब चित्रकूट पहुँचते हैं तो वहाँ कलकल बह रही गंगा एवं वहाँ की प्राकृतिक छटा उन्हें आकर्षित करती है। वे अपने को रोक नहीं पाते हैं और उसका वर्णन करते हुए सीता से कहते हैं । हे सीते! हंस तथा सारस से सेवित और फूलों से युक्त किनारों वाली इस गंगा के किनारे अनेक प्रकार के फल और फूल के वृक्ष हैं, जिसमें वह कुबेर के सरोवर के समान आकर्षक है। जटाजिन तथा वल्कल वस्त्रधारी ऋषिगण प्रतिदिन प्रातः काल इसके निर्मल जल में स्नान करते हैं। जिससे इसकी रमणीय एवं महत्ता प्रतिदिन के तुम्हारे दर्शन तथा अयोध्या निवास से भी अधिक आनन्ददायक प्रतीत होता है। इस प्रकार महर्षि वाल्मीकि ने चित्रकूट में बह रही गंगा को अप्रतिम मनोरम और महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
9. श्रीराम के प्रकृति सौंदर्य बोध पर अपने विचार लिखें।
उत्तर – चौदह वर्ष के वनवास के अंतर्गत श्रीराम पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुँचते हैं। वहाँ के मनोरम वातावरण यथा कलकल करती मंदाकिनी नदी की जल धारा खिले हुए फूलों तथा क्रीड़ा करते हंस – सारस को देखकर प्रसन्न होते हैं। श्रीराम सीता को मंदाकिनी नदी के चारों ओर फैले प्राकृतिक सौंदर्यता को दिखाते हैं। जो रमणीयता तथा शांति मंदाकिनी क्षेत्र में हैं, वैसी शांति और रमणीयता अन्य क्षेत्र में नहीं है। पशु-पक्षी निर्भीक होकर विचरण कर रहे हैं। मेरे विचार से चित्रकूट और मंदाकिनी क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है।
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