भूमिका — भ्रष्टाचार से तात्पर्य है बिगड़े हुए अथवा भ्रष्ट आचरण की स्थिति । भ्रष्ट लोग जब सामाजिक स्तर पर नैतिक मूल्यों को ताक पर रखकर अनैतिकता फैलाते हैं और कानून की सीमाओं का उल्लंघन करते हैं तब समाज को भ्रष्टाचार से ग्रस्त कहा जाने लगता है । भ्रष्टाचारी व्यक्ति अपने निजी स्वार्थों की सिद्धि के लिए बराबर प्रयत्नशील रहते हैं। बेईमानी, चोरबाजारी, रिश्वतखोरी, तानाशाही आदि सारी सामाजिक बुराइयाँ भ्रष्टाचार को ही जन्म देती हैं। इन सबसे लोभ, स्वार्थ, अहित तथा अहंकार को बल मिला करता है । सामाजिक अथवा नागरिक अधिकारों का दुरुपयोग भ्रष्टाचार का मूल सिद्धांत है। भ्रष्ट लोगों तथा भ्रष्टाचार की अतिशयता से सामान्य जन-जीवन तथा दिनचर्या के कार्यकलापों का युक्ति-संगत निर्वाह कर पाना असंभव हो जाता है । यों कहिये कि सही अर्थों में जन साधारण का जीवन सुरक्षित नहीं रह पाता ।
भ्रष्टाचार के कारण — प्रथम जनगणना के अनुसार हमारे राष्ट्र की जनसंख्या 30 करोड़ के आस-पास थी जो अब 130 करोड़ से अधिक हो गई इस अनुपात में जीविकोपार्जन के साधनों की कमी के कारण आज भारतीय समाज में भ्रष्टाचार, मिलावट व जमाखोरी का बोलबाला है।
भ्रष्टाचार का स्वरूप — भ्रष्टाचार के निम्नलिखित स्वरूप हैं-
स्वार्थसिद्धि — आज मानव जीवन में विश्वबंधुत्व की भावना का ह्रास हो रहा। अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए एक मानव दूसरे मानव की गर्दन पर हाथ फेरने के लिए तैयार है, `बेशक उसकी भावना से आदर्श का गला ही क्यों न घुट जाए?
भौतिकता में वृद्धि — आज के इस यांत्रिक युग में प्रत्येक मानव भौतिक साधनों को जुटाने में नेत्र मूँदकर जुटा हुआ है। वह हर तरह से भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर काला धन इकट्ठा करता जा रहा है।
भ्रष्टाचार के दुष्परिणाम — भ्रष्टाचार का जीवन में सर्वत्र बोलबाला है । समाज के किसी भी पक्ष को ले लीजिए, उनमें भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी मिलेंगी । किसी समाज अथवा देश के जनजीवन के दो पक्ष हैं- एक सरकारी तंत्र पर आश्रित है तो दूसरा व्यक्ति – समुदाय की वैयक्तिकता पर टिका है। भ्रष्टाचार की जड़ें इन दोनों ही धरातलों पर हैं। कुछ समय पूर्व भ्रष्टाचार से लिप्त रहने के कारण एक मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए विवश होना पड़ा। मुख्यमंत्री जैसे गौरवशाली पद पर आसीन व्यक्ति भी जब भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं तो सामान्य पदाधिकारी बहती गंगा में हाथ धोने से पीछे क्यों रहेंगे ? कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्यों को प्रतिभूति घोटाले में संलिप्त होने के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। कुछ समय पूर्व जापान की मंत्रिपरिषद् के कुछ सदस्यों को भी भ्रष्टाचार के कारण इस्तीफा देना पड़ा ।
भ्रष्टाचार निवारण के उपाय / निराकरण के उपाय — भ्रष्टाचार रोकने के लिए पहले यह आवश्यक हो जाता है कि भ्रष्टाचार को बल देने वाले सारे कारणों की छानबीन की जाए। इन कारणों का विशद अध्ययन करके वे साधन अथवा वस्तुएँ जुटाई जाएँ जिनका अभाव भ्रष्टाचार को जन्म देता है । इस स्थिति में- ‘न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी ।’ इन कारणों तथा समाधानों के संदर्भ में समाज के लिए पुनः नैतिक शिक्षा के माध्यम से ऐसा वातावरण देने की आवश्यकता है, जिससे कानून-प्रियता, उत्तरदायित्व, लोकमंगल की भावना तथा मानवतावाद की विचारधारा का जन्म हो सके । समाज को सत्चरित्र वाला बनाना भ्रष्टाचार को रोकने का मूल उपाय है ।
निष्कर्ष / उपसंहार — अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया। हमारे हर डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार व्याप्त है । इसके खिलाफ अन्ना हजारे ने अकेले ही अभियान शुरू कर दिया है। पटना में हर घर में एक अन्ना चाहिए, अन्ना की सोच चाहिए, हमें खुद में अन्ना जैसी सोच लानी होगी, तभी 2020 तक हमें स्वच्छ वातावरण मिलेगा ।