प्रस्तावना – हमारा देश धर्मों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है । यहाँ सभी धर्मों तथा सम्प्रदायों के लोग ‘भारतीय’ होकर रहते हैं और अपने-अपने ढंग तथा रीति-रिवाजों से भगवान का स्मरण करते हैं । इस तरह यह देश धर्मप्रधान है । यहाँ हिन्दुओं के अपने त्योहार हैं, मुसलमानों के अपने । सिखों के अपने अलग त्योहार है तो ईसाइयों तथा पारसियों आदि के अपने हैं । किसी-न-किसी दिन किसी-न-किसी धर्म या सम्प्रदाय का कोई-न-कोई त्योहार होता ही है । इसीलिए यदि कहा जाए कि भारत में वर्षभर त्योहारों का सिलसिला चलता रहता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
मनाने की विधि ईद — के पवित्र त्योहार का संबंध मुसलमानों के पैग़म्बर मोहम्मद साहब से है । मोहम्मद साहब ने संसार में इस्लाम धर्म चलाया था । उन्होंने बताया कि ईद में एकसाथ नमाज पढ़नी चाहिए और एक-दूसरे से गले मिलना चाहिए। इस अवसर पर घर-घर मीठी सेवइयाँ पकती हैं । सब सेवइयाँ खाते हैं तथा अपने दोस्तों तथा रिश्तेदारों में बाँटते हैं । इस ‘ईद-उल-फितर ‘ ईद को ‘मीठी ईद’ कहकर पुकारते हैं। ईद के अवसर पर हमारे देश के हिन्दू अपने मुसलमान भाइयों से गले मिलकर उन्हें ‘ईद मुबारक’ कहते हैं और एकसाथ बैठकर सेवइयाँ खाते हैं। यह त्योहार बन्धुत्व तथा प्रेम भावना में बढ़ावा लाने वाला है ।
ईद और चाँद – दर्शन — बहुत सारे मुसलमान भाई ईद के उपलक्ष्य में एक महीने का रोजा रखते हैं । इस तरह रमजान के पूरे तीस रोज के बाद यह त्योहार आता। रोजे के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त होने तक रोजा रखने वाले लोग न कुछ खाते हैं और न ही पानी पीते हैं । रोजों के तीस दिन की लम्बी अवधि के बाद जब चाँद दिखाई देता है तो उसके दूसरे दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है। ईद के इस चाँद के दर्शन के लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ती है, इसीलिए ‘ईद का चाँद होना’ मुहावरे का लोकजीवन में प्रचलन हो गया है ।
एकता और समता का त्योहार — ईद हमारे देश का महत्त्वपूर्ण त्योहार है । इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। हम सब हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई तथा बौद्ध ईद के त्योहार को राष्ट्रीय एकता के त्योहार के रूप में मानते हैं । इस दिन न कोई छोटा माना जाता है और न ही बड़ा । सब समान माने जाते हैं । इस तरह ईद का त्योहार समता तथा मानवता का प्रतीक है ।
उपसंहार — ईद का त्योहार आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश देता है । हमें इसे अत्यंत प्रेमभाव से मनाना चाहिए। इससे राष्ट्रीय एकता की भावना मजबूत होती है तथा हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और भी दृढ़ होता है ।