Class 10th Sanskrit Subjective Chapter 4 (संस्कृत)

Class 10th Sanskrit Subjective (संस्कृत)  बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 4  का अब्जेक्टिव प्रश्न पीडीएफ़ Bihar Board (Matric मैट्रिक) vvi Subjective in Hindi pdf

Class 10th Sanskrit Subjective

संस्कृतसाहित्ये लेखिका:

1. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर – पण्डिता क्षमाराव आधुनिक काल में संस्कृत लेखिकाओं में बहुत प्रसिद्ध है। इनके द्वारा रचित ग्रंथ शंकरचरित्, सत्याग्रहगीत, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद्यात्रा, ग्रामज्योति आदि अनेक गद्य-पद्य ग्रंथ है।

2. पण्डिता क्षमाराव की रचनाओं का वर्णन करें।

उत्तर – पण्डिता क्षमाराव अपने पिता पंडित शंकर पांडुरंग की जीवन पर ‘शंकररचित् ‘ नामक ग्रंथ की रचना की। गाँधी दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रह गीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद यात्रा, ग्राम ज्योति अनेकों गद्य-पद्य ग्रंथों की रचना की।

3. वर्तमान समय में संस्कृत साहित्य के लेखक कार्य में कौन- कौन लगे हैं?

उत्तर — वर्तमान समय में लेखनकार्य में संलग्न कवयित्रियों में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन संस्कृत साहित्य को पूरा कर रही है।

4. ‘संस्कृत साहित्ये लेखिकाः, पाठ को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर — संस्कृत साहित्य में महिलाओं का योगदान वैदिक युग से ही रहा है। इनमें यमी, यपाला, उर्वशी, इन्द्राणी, वागम्भष्टणी, मैत्रेयी, गार्गी, सुलभा, विजयांका, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, रामभद्राम्बा, गंगादेवी, तिरुमलम्बा, क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रमुख हैं। मधुराविजयम्, वरदाम्बिकापरिणय चम्पू, शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्रपरिषद्यात्रा, ग्रामज्योतिः आदि महिला लेखिकाओं की उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।

5. संस्कृत साहित्य में स्त्रियों के योगदान को तीन वाक्यों में लिखें।

उत्तर — संस्कृत साहित्य में प्राचीनकाल से ही स्त्रियों का योगदान रहा है। अपने योगदान के लिए दार्शनिक सिद्धांतों की प्रतिपादिका, याज्ञवल्क्य की पत्नी मैत्रेयी शास्त्रार्थ में पारंगत गार्गी, कवयित्री विजयांका एवं देवकुमारिका आदि सुप्रसिद्ध थी। आधुनिक युग में पुष्पादीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि कवयित्रियाँ संस्कृत साहित्य में रचना कर रही हैं।

6. विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की स्थिति क्या थी?

उत्तर – विजयनगर के राज्य के नरेश संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं। उनके महल में संस्कृत रचना का कार्य रानियाँ किया करती थी। रानी गंगादेवी ने “मधुराविजयम्” महाकाव्य अपने स्वामी की विजय घटना पर रचना की। उसी राज्य में 16 वीं शताब्दी में अच्युतराय की रानी तिरुलाम्बा ने वरदाम्बिका परिणय नामक चम्पकाव्य की रचना की । संस्कृत गद्य की छटा समस्त पदावली द्वारा विन्यास से सुशोभित है। संस्कृत साहित्य में दीर्घतम समस्त पद भी वहीं प्राप्त होता हैं। संस्कृत साहित्य में विजयनगर राज्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

7. वैदिक युग में ऋषि – पत्नियों के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर—वैदिक युग में मंत्रों के द्रष्टा न केवल ऋषि अपितु ऋषि – पत्नी भी है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच ऋषि पत्नियों ने भी मंत्र द्रष्टा के रूप में बताये गये हैं। जैसे— यमी, अपाला, उर्वशी, इंद्राणी, वागाम्भृणी इत्यादि ।

8. ऋग्वेद में कितनी ऋषिकाएँ हैं एवं उनका नाम क्या है?

उत्तर – ऋग्वेद में चौबीस ऋषिकाओं का उल्लेख मिलता है। अथर्ववेद में पाँच ऋषिकाएँ हैं। उनके नाम है— यमी, अपाला, उर्वशी, वागम्भृणी इत्यादि ।

9. विजयांका को ‘सर्वशुक्ला सरस्वती’ क्यों कहा गया है?

उत्तर — लौकिक संस्कृत साहित्य में विजयाङ्का का योगदान अभूतपूर्व है । सर्वशुक्ला सरस्वती विजयाङ्का को कहा गया है। विजयाङ्का की असाधारण पराकाष्ठा से प्रभावित होकर दण्डी ने सर्वशुक्ला सरस्वती कहा है। पदों की सौष्ठवता देखने लायक विजयाङ्का श्याम वर्ण की थी परंतु उसकी कृतियाँ शुक्ल अर्थात् ज्योतिर्मय थी। विजयाङ्का अपनी रचना में लेखन कला के द्वारा आभा विखेरती प्रतीत होती है।

10. आधुनिक काल की किन्हीं तीन संस्कृत लेखिकाओं के नाम लिखें।

उत्तर – आधुनिक काल की तीन लेखिकाओं में पण्डित क्षमाराव, वनमाला मावालकर और मिथिलेश कुमारी मिश्र का नाम प्रमुख

11. विजयाङ्का कौन थी और उनका समय क्या माना जाता है ?

उत्तर — विजयाङ्का चालुक्य वंश के राजा चन्द्रादित्य की रानी थी जिसे विजयभट्टारिका के नाम से भी जाना जाता है। इनका समय आठवीं शताब्दी माना जाता है।

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