देश-प्रेम का अर्थ देश– प्रेम अर्थात् देश के प्रति प्रेम या लगाव । देश-प्रेम को अपने देश के प्रति प्रेम और वफादारी से परिभाषित किया जा सकता है। जो लोग अपने देश की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, ऐसे लोग देशप्रेमी कहलाते हैं।
देश-प्रेम में त्याग — देश प्रेम में त्याग की महती आवश्यकता है। यहाँ त्याग का अर्थ यह है कि हर संभव तरीके देश के विकास में सुधार के प्रति अपना पूर्ण योगदान देना है तथा आवश्यकता पड़ने पर इसके लिए अपने प्राणों का बलिदान देना है। देश के लिए त्याग हेतु एक पुष्प की अभिलाषा सराहनीय है।
एक पवित्र भावना – देश-प्रेम देश के प्रति एक पवित्र भावना है। जब व्यक्ति शुद्ध-निश्चछल मन से देश के प्रति आकृष्ट होता है तब व्यक्ति में देश के प्रति प्रेम होता है। ऐसे व्यक्ति के हृदय में देश के प्रति ममत्व या आत्मीयता होती है। देश-प्रेम में लोग लोभमुक्त होकर देश के प्रति काम करते हैं।
देश प्रेमी का जीवन देश के लिए देश– प्रेमी अपने तन-मन-धन के साथ देश की सेवा में जुटे रहते हैं। अपना जीवन तक न्योछावर कर देते हैं। देश-प्रेमी देश की भलाई, मान-सम्मान और विकास को सर्वोपरि मानते हैं। ऐसा व्यक्ति स्वयं को देश के लिए अर्पित कर देश सेवा में जुटे रहते हैं।
देश – प्रेमियों की गौरवशाली परंपरा — हरेक देश में देश-प्रेमियों की गौरवशाली परंपरा होती है। यानी, देश को अपना सब कुछ समझना ऐसी परंपरा जो गौरव प्रदान करे वही देश-प्रेम की गौरवशाली परंपरा कहलाती है। हमारे देश में महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू आदि जैसे असंख्य देश-प्रेमियों की गौरवशाली परंपरा है जो देशवासियों को गौरव प्रदान करती है।
देश-प्रेम सर्वोच्च भावना – देश-प्रेम की भावना से बढ़कर अन्य कोई भावना नहीं होती, क्योंकि देश ही व्यक्ति, परिवार और समाज सबको उत्पन्न करता है। देश की मिट्टी, पानी, हवा, भोजन, आवास, वस्त्र आदि सब कुछ सबको प्रदान करता है। अपने देश की आँचल में ही सबको विश्रम और सब सुख-सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। देश की सुरक्षा से ही देशवासियों की सुरक्षा होती है। अतः, देश-प्रेम की भावना सर्वोच्च होती है।
देश-प्रेम की अनिवार्यता – देश-प्रेम देश के विकास के लिए आवश्यक है। इससे एकता की भावना का विकास होता है। देश की प्रगति होती है। सम्प्रति देश में आतंकवाद, अलगाव, क्षेत्रवाद आदि की समस्याएँ हैं। ऐसे में देशभक्ति की अनिवार्यता बहुत ही बढ़ गई है।