भूमिका – गरीबी वैसा अभिशाप है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक पीछा छोड़ने का नाम नहीं लेती। यह किसी क्षेत्र विशेष या किसी खास देश का ही समस्या नहीं है बल्कि यह विश्वव्यापी समस्या बनी हुई है । जीवनयापन की मूलभूत सुविधाओं का अभाव की स्थिति ही गरीबी है। गरीब व्यक्ति भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा जैसी सुविधाओं से वंचित रहता है और अथक परिश्रम के बावजूद भी उस भँवर से नहीं निकल पाता है।
गरीबी के कारण — गरीबी के अनेकों कारण गिने जा सकते हैं – बेरोजगारी, अशिक्षा, जनसंख्या वृद्धि आदि इसमें प्रमुख हैं। व्यक्ति को पर्याप्त रोजगार उपलब्ध नहीं होने व कम मजदूरी मिलने से वह अपनी मौलिक आवश्यकताओं को भी पूर्ण नहीं कर पाता है। उसकी आमदनी इतनी भी नहीं होती है कि वह दो जून की रोटी प्राप्त कर सके। रोजगार के अभाव में उसके परिवार को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता है। अशिक्षा के कारण वह किंकर्त्तव्यविमूढ़ रहता है कि वह क्या करे या क्या न करे। वह कर्ज लेकर उन्नति करने की कोशिश करता है लेकिन कर्ज चुकाने के बदले कर्ज में ही आकंठ डूब जाता है। आमदनी बढ़ाने के लिए आबादी बढ़ाता है, लेकिन समस्या और भी घातक हो जाती है। बच्चे भी काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
गरीबी उन्मूलन के उपाय – गरीबी निवारण के लिए सर्वोत्तम उपाय रोजगार के अवसर का सृजन करना है। रोजगार जितनी मात्रा में उपलब्ध होगा, आमदनी उसी अनुपात में बढ़ेगी और गरीबी दूर होगी। साथ ही शिक्षा का प्रसार, मूलभूत वस्तुओं की सस्ते दर पर पर्याप्त उपलब्धता भी इसकी भयावहता को कम कर सकती है। सरकार भी इसे दूर करने के लिए कई रोजगार योजनाएँ जैसे प्रधानमंत्री रोज़गार योजना, मनरेगा आदि चला रही है, लेकिन बढ़ती हुई आबादी के कारण ये योजनाएँ कम पड़ रही हैं।
निष्कर्ष — अंत में निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि गरीबी एक विस्तृत सामाजिक व आर्थिक समस्या है, जिसके प्रभाव को योजनाबद्ध तरीके से कम अथवा समाप्त किया जा सकता है।