सांप्रदायिकता : एक अभिशाप – Sampradayikta ek Abhishap

साम्प्रदायिकता का अर्थ और कारण – साम्प्रदायिकता व्यक्ति के जीवन की अवरोधक शक्ति है जो जीवन व्यवस्था में उलझन पैदा करती है। साम्प्रदायिकता का अर्थ है किसी सम्प्रदाय की भावना से ग्रस्त होना । समाज विभिन्न सम्प्रदाय या धर्म अथवा मतों से मिलकर बना होता है। विभिन्न मतों या सम्प्रदायों की विचारधाराएँ अलग-अलग होती हैं, जिन्हें साम्प्रदायिक भावना कहा जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों या मतों की विचारधाराओं में मतभेद होना स्वाभाविक हैं किन्तु जब एक सम्प्रदाय अपनी भावना में बहकर दूसरे सम्प्रदाय पर हावी होना चाहता है तब इसे साम्प्रदायिकता कहा जाता है। इसका कारण है व्यक्ति में असहिष्णुता का अभाव, स्वयं के सम्प्रदाय को अन्य सम्प्रदाय से उच्च समझना या अन्य सम्प्रदाय के प्रति अनादर और घृणा का भाव रखना ।

सर्वव्यापक समस्या — साम्प्रदायिकता आज सर्वव्यापक समस्या है। विश्व का कोई भी देश या समाज हो वह इस समस्या से ग्रस्त है, जिसके कारण आतंकवाद, उग्रवाद, कट्टरपंथ आदि उत्पन्न हो रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव निर्दोष लोगों पर पड़ता है । वातावरण दूषित होता है। असीमित धन-जन की क्षति होती है। विकास कार्य दुष्प्रभावित होता है। शासन-प्रशासन का कार्य भार बढ़ जाता है। जनता की सुरक्षा और व्यवस्था की सुरक्षा के लिए सरकार का व्यय और दायित्व बढ़ जाता है और लोग अशांति तथा असुरक्षा महसूस करते हैं।

भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या– भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या अधिक गहरी है, क्योंकि यह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहाँ अनगिनत जातियाँ तथा सम्प्रदाय हैं। ऐसे में हरेक जाति या सम्प्रदाय का संतुष्ट तथा सहिष्णु रहना कठिन है। भ्रष्ट राजनीतिक गतिविधियाँ इस समस्या को बढ़ाने में अधिक योगदान करती हैं। असामाजिक तत्त्व भी इस समस्या की वृद्धि में काम करते हैं, क्योंकि उन्हें इससे अधिक लाभ प्राप्त होता है । कट्टरपंथी भी इसके लिए कम जवाबदेह नहीं है।

साम्प्रदायिक घटनाएँ — भारत में साम्प्रदायिक घटनाओं का अन्त नहीं है। सीमा पर विरोधी देश साम्प्रदायिकता के कारण आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं। देश के अंदर भी बोधगया जैसे धार्मिक स्थल पर भी बमकांड की घटना हुई। कहीं मन्दिर-मस्जिद विवाद उठ खड़ा होता है। कहीं जातिवाद का मसला पैदा हो जाता है।

समाधान– साम्प्रदायिकता का समाधान व्यक्तिगत जागरूकता, साम्प्रदायिक सद्भाव तथा समानता के व्यवहार से संभव है। भ्रष्ट राजनीतिक गतिविधियाँ रोकना, सरकार तथा जनता का एक-दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करना, समाज के हरेक वर्ग को विकास की धारा में सम्मिलित करना तथा साम्प्रदायिकता के विरुद्ध अभियान चलाना साम्प्रदायिकता का समाधान है। इस प्रकार देश को साम्प्रदायिकता के अभिशाप से मुक्ति मिल सकती है।