सोशल नेटवर्किग : वरदान या अभिशाप – Social Networking

भूमिका— सोशल नेटवर्किंग एक ऐसा नेटवर्क है। जो सारे प्रिंट मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और समानांतर मीडिया से अलग है। सोशल नेटवर्किंग इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है जिसे उपयोग करनेवाला व्यक्ति सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म (फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम) आदि का उपयोग कर पहुँच बना सकता है।

लाभ- सोशल नेटवर्किंग सकारात्मक भूमिका अदा करता है जिससे किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। इनके द्वारा ऐसे विकासात्मक कार्य हुए हैं। इनके द्वारा किसी भी देश एकता, अखंडता, पंथ निरपेक्षता एवं समाजवादी गुणों में अभिवृद्धि हुई है। 2014 के आम चुनाव के द्वारा इनके द्वारा राजनीतिक पार्टियों ने आम जनता को चुनाव हेतु जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, जिससे वोट प्रतिशत बढ़ा ।

हानि – सोशल नेटवर्क का गलत तरीके से उपयोग कर कुछ लोग दुर्भावनाएँ फैलाकर लोगों को बाँटने की कोशिश करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा की जाती है जिससे जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सायबर अपराध सोशल नेटवर्किंग से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या है।

उचित प्रयोग के लिए सुझाव– अधिकतर लोग इसमें अपने बारे में जरूरत से ज्यादा परिचय देते हैं जिससे उनकी निजी जानकारियाँ चोरी होने का डर बना रहता है। नेटवर्क हैक कर इन पर कुछ आपत्तिजनक चीजें भी आने लगती हैं जो बच्चों के लिए अच्छी नहीं होतीं। लोग आपकी फोटो का गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसे काफी देर तक प्रयोग न करें और हमेशा अपना एकाउंट लॉग आउट करके रखना चाहिए। साथ ही निजी जानकारी को भी किसी सोशल साइट पर अपलोड न करें और तस्वीरें भी कहीं न डालें। बच्चों को अपनी निगरानी में ही सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करने देना चाहिए।

उपसंहार – सोशल नेटवर्किंग हमारे लिए वरदान के साथ-साथ अभिशाप भी है। लोग इसका सही उपयोग कम और गलत उपयोग ज्यादा करते हैं। इस वजह से नुकसान भुगतना पड़ जाता है। हमें सोशल साइट सिर्फ मनोरंजन या फिर बहुत ही आवश्यक काम के लिए चलानी चाहिए और इसका आदी तो भूलकर भी नहीं बनना चाहिए।