भूमिका – विज्ञान एक शक्ति है, जो नित नए आविष्कार करती है। यह शक्ति न तो अच्छी है, न बुरी । अगर हम उस शक्ति से मानव-कल्याण के कार्य करें तो वह ‘वरदान’ प्रतीत होती है । अगर उसी से विनाश करना शुरू कर दें तो वह ‘अभिशाप’ बन जाती है।
वर्त्तमान युग में विज्ञान का महत्त्व – विज्ञान मनुष्य का सच्चा साथी है, जीवन का स्रोत है। विज्ञान मानव जीवन को पूर्ण बनाता है तथा सुखी बनाता है। यही मानव के जीवन का लक्ष्य पूरा करता है। जीवन में विज्ञान न हो, तो मनुष्य निरक्षित होकर जीवनभर भटकता फिरेगा। यही मनुष्य को पशु जीवन से ऊपर उठता है ।
विज्ञान से लाभ — विज्ञान ने अंधों को आँखें दी हैं, बहरों को सुनने की ताकत । लाइलाज रोगों की रोकथाम की है तथा अकाल मृत्यु पर विजय पाई है । विज्ञान की सहायता से यह युग बटन-युग बन गया है । बटन दबाते ही वायु देवता हमारी सेवा करने लगते हैं, इंद्र-देवता वर्षा करने लगते हैं, कहीं प्रकाश जगमगाने लगता है तो ‘कहीं शीत-उष्ण वायु के झोंके सुख पहुँचाने लगते हैं । बस, गांड़ी, वायुयान आदि ने स्थान की दूरी को बाँध दिया है । टेलीफोन द्वारा तो हम सारी वसुधा से बातचीत करके उसे वास्तव में कुटुंब बना लेते हैं । हमने समुद्र की गहराइयाँ भी नाप डाली है और आकाश की ऊँचाइयाँ भी । हमारे टी० वी०, रेडियो, वीडियो में मनोरंजन के सभी साधन कैद हैं । सचमुच विज्ञान ‘वरदान’ ही तो है।
विज्ञान से हानि – मनुष्य ने जहाँ विज्ञान से सुख के साधन जुटाए हैं, वहाँ दुःख के अंबार भी खड़े कर लिए हैं। विज्ञान के द्वारा हमने अणु बम, परमाणु बम तथा अन्य ध्वंसकारी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण कर लिया है । वैज्ञानिकों का कहना है कि अब दुनिया में इतनी विनाशकारी सामग्री इकट्ठी हो चुकी है कि उससे सारी पृथ्वी को अनेक बार नष्ट किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त प्रदूषण की समस्या बहुत बुरी तरह फैल गई है । नित्य नए असाध्य रोग पैदा होते जा रहे हैं, जो वैज्ञानिक उपकरणों के अंधाधुंध प्रयोग करने के दुष्परिणाम हैं। वैज्ञानिक प्रगति का सबसे बड़ा दुष्परिणाम मानव – मन पर हुआ है । पहले जो मानव निष्कपट था, निःस्वार्थ था, भोला था, मस्त और बेपरवाह था, वह अब छली, स्वार्थी, चालाक, भौतिकतावादी तथा तनावग्रस्त हो गया है । उसके जीवन से संगीत गायब हो गया है, धन की प्यास जाग गई है, नैतिक मूल्य नष्ट हो गए हैं ।
उपसंहार- वास्तव में विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाने वाला मनुष्य है उसे वरदान या अभिशाप बनाना मानव के हाथ में है । इस संदर्भ में एक उक्ति याद रखनी चाहिए- ‘विज्ञान अच्छा सेवक है, लेकिन बुरा हथियार ।’