इस आर्टिकल में हम जानेंगे आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए? उल्लेख करें। आग बुझाने के कितने तरीके हैं?अग्निशामक यंत्र क्या है?आग लगने पर क्या न करें? आदि इन सब के बारे में। यह आर्टिकल आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इसे पूरा जरूर पढ़ें। इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपकी दैनिक जीवन में उपयोगी हो सकती है।
1. आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए? उल्लेख करें।
आग लगने की स्थिति में इससे बचने के लिए निम्नलिखित प्रबंध किया जाना चाहिए-
- सबसे पहले आग पर काबू पाएं।।
- यदि आग लगने की घटना होती है, तो तुरंत 101 पर कॉल करके सूचना दें। यह न सोचे कि किसी अन्य व्यक्ति को इसके बारे में सूचित करना चाहिए था।
- आग में फंसे हुए लोगों एवं मवेशियों को बाहर निकालना।
- आग से घाय लोगों को तत्काल प्राथमिक उपचार देना और उन्हें अस्पताल ले जाना।
- आग के दौरान छत पर फंसे लोगों को सीढ़ी द्वारा उतारने का कार्य किया जाना चाहिए।
- आग के फैलाव को रोकना ताकि आग आस-पास के क्षेत्र में ना फैले।
- आग के फैलाव को रोकने के लिए बालू गिट्टी / जल का उपयोग करना, अग्निशामक दस्ते को बुलाना।
- आग के चारों और बालू हवा मिट्टी कीचड़ कंबल आदि का आवरण बनाकर, आग पर निष्क्रिय गैस छोड़कर ऑक्सीजन के संपर्क को खत्म करना।
2. आग लगने पर कौन से नंबर पर कॉल करना चाहिए?
अगर कहीं आग लग जाती है तो 101 इस नंबर पर फोन करके फायर ब्रिगेड की मदद मांगी जाती है। फायरब्रिगेड का टोल फ्री नंबर 101 न लगने पर लोग सीयूजी नंबर पर घटना की जानकारी दे सकते हैं। सीयूजी नंबर 9454418576 पर तत्काल आग लगने से संबंधित सूचना दी जा सकती है।
3. आग क्या है?
आग तीन कारकों ऑक्सिजन ईधन ऊष्मा का मिश्रण होता है। जब यह तीनों कारक एक स्थान में मिलते है तब यह आग का रूप ले लेते है। आग को मुख्य रूप से चार प्रकार में बाँटा गया है–
श्रेणी A- इस श्रेणी मे लकडी , कागज , कपडा , जुट जैसे पदार्थ आते है।
श्रेणी B- इस श्रेणी मे डीजल , पेट्रोल , केरोसिन जैसे तरल द्रव ज्वलनशिल पदार्थों में लगी आग आती है। यह खतरनाक होती है।
श्रेणी C- LPG, CNG जैसी सभी ज्वलनशिल गैसे आती है। यह दिखाई नहीं देती इसलिए इसके भंडार में आग लगने का खतरा अधिक होता है।
श्रेणी D- इलेक्ट्रिकल मशीन, हाउस इलेक्ट्रिकल उपकरण और इलेक्ट्रिकल वायरिंग में लगी आग आती है। जो शोर्ट सर्किट के कारण होती है।
4. आग बुझाने के कितने तरीके हैं?
- प्रथम सामान्य आग कोयला, कपड़े और कागज की आग इसी श्रेणी में आती है। इसे पानी और CO-2 अग्निशामक यंत्रों से बुझाया जाता है।
- दूसरा तेल, डीजल, पेट्रोल इसी श्रेणी में आते हैं। इसे DCP अग्निशामक और फोम अग्निशामक यंत्र से बुझाया जाता है।
- शॉर्ट सर्किट और बिजली से लगी आग इस श्रेणी में आते हैं। इसे DCP एवं CO-2 अग्निशामक यंत्रों से बुझाते हैं।
- किसी भी धातु में लगी आग इस श्रेणी में आते हैं। इसे DCP एवं CO-2 अग्निशामक यंत्रों से बुझाते हैं।
5. आग बुझाने वाली गैस का नाम क्या?
आग बुझाने वाले यन्त्र को अग्निशामक यन्त्र कहते हैं। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है। इंग्लिश में इस यंत्र को Fire Extinguisher कहते है।
6. अग्निशामक यंत्र क्या है?
आग बुझाने वाले यन्त्र को अग्निशामक यन्त्र कहते हैं। आग के प्रत्येक वर्ग के लिए विभिन्न प्रकार के अग्निशामक यंत्रों का उपयोग किया जाता है।
अग्निशमन यंत्र के प्रकार-
- वाटर टाईप – इसका उपयोग ठोस प्रकार की आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की लकड़ी, कागज, गत्ता आदि।
- मैकेनिकल फोम टाईप – इसका उपयोग तेल से लगने वाली आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की पेट्रोल, डीज़ल, थिनर ,पेंट आदि से लगने वाली आग।
- ए. बी. सी. टाईप – इसका उपयोग ABC तीनो प्रकार की आग के लिए किया जाता है। (SOLID , LIQUID , GAS)
- कार्बन डाई ऑक्साइड टाईप – इसका उपयोग बिजली की आग के लिए किया जाता है और गैस एवं तेल से लगने आग के लिए किया जाता है।
- क्लीन एजेंट टाईप – इसका उपयोग कंप्यूटर, सर्वर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की आग बुझाने के लिए किया जाता है।
- वाटर मिस्ट टाईप – इसका उपयोग खाद्य पदार्थ एवं ठोस प्रकार की आग बुझाने के लिए किया जाता है जैसे की खाद्य सामग्री, लकड़ी, कागज आदि।
7. 5 प्रकार के अग्निशामक कौन से हैं?
अग्निशामक यंत्र के प्रकार:-
- जलयुक्त अग्निशामक यंत्र।
- ड्राई पाउडर अग्निशामक यंत्र।
- CO2 अग्निशामक यंत्र।
- कार्बन टेट्रा क्लोराइड CTC अग्निशामक यंत्र।
- Foam fire extinguisher
8. फायर ट्रेनिंग क्या है ?
फायर ट्रेनिंग में आग बुझाने और आग लगने वाले स्थान पर फँसे लोगों को बचाने से संबंधी जानकारी दी जाती हैं। आज बिजली की मशीनों के अत्यधिक प्रयोग के कारण आग लगने की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। इससे कई लोगों की बेवजह मौत हो रही है।
9. आग लगने पर क्या न करें?
- आग लगने पर तुरंत 101 नंबर पर कॉल करके सूचना दें। यह न सोचें कि कोई दूसरा इसकी सूचना पहले ही दे चुका होगा।
- आग लगने की स्थिति में सबसे पहले इमारत के फायर अलार्म को सक्रिय करना है। फिर बहुत जोर से “आग-आग” चिल्लाकर लोगों को सचेत करें।
- आग लगने पर लिफ्ट का उपयोग न करें, सिर्फ सीढ़ियों का ही प्रयोग करें।
- धुएं से घिरे होने पर अपनी नाक और मुंह को गीले कपड़े से ढक लें।
- अगर आप धुएं से भरे कमरे में फंस जाएं और बाहर निकलने का रास्ता न हो, तो दरवाज़े को बंद कर लें और सभी दरारों और सुराखों को गीले तौलिये या चादरों से सील कर दें, जिससे धुआं अंदर न आ सके।
- अगर आप आग में फंसे नहीं हैं तो पहले बाहर आएं और 101 नंबर पर फायर ब्रिगेड को घटना की सूचना दें।
- अपने घर और कार्यालय में धुआं डिटेक्टर ज़रूर लगाएं क्योंकि अपनी सुरक्षा के उपाय करना हमेशा बेहतर और अच्छा होता है।
- समय-समय पर इमारत में लगे फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर, पानी के स्त्रोत, अग्निशामक की जांच करवाते रहें।
- घटनास्थल के नज़दीक भीड़ न लगने दें, इससे आपातकालीन अग्निशमन सेवा और बचाव कार्य में बाधा होती है। ऐसी स्थिति में 101 पर कॉल करें और वहां से दूर हो जाएं।
- यदि आपके कपड़ो में आग लग जाए तो भागे नहीं, इससे आग और भड़केगी। ज़मीन पर लेट जाए और उलट पलट (रोल) करें। किसी कम्बल, कोट या भारी कपड़े से ढक कर आग बुझाएं।
आग लगने की स्थिति में क्या प्रबंधन करना चाहिए? उल्लेख करें।