भूमिका/ आतंकवाद क्या है? — सामाजिक एवं आर्थिक विषमता के कारण आतंकवाद की उत्पत्ति होती है। आतंकवाद के कारण लोग सभी जगह स्वतंत्र रूप से नहीं निवास नहीं कर पाते हैं। चारों तरफ एक दहशत का माहौल उत्पन्न हो जाता है । इससे आर्थिक क्षति अत्यधिक होती है और राष्ट्रीय विकास भी बाधित होता है।
आतंकवाद क्यों — आतंकवाद नागरिकों, सशस्त्र सैनिकों या राज्य के विरूद्ध लोगों द्वारा अपने वांछित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जानेवाला बलपूर्वक एवं गैरकानूनी तरीका है। आतंकवादी वर्तमान शासन व्यवस्था एवं शांति को उखाड़ फेंकने एवं वांछित राजनीतिक परिवर्तन के लिए विस्फोट, अपहरण, आक्रमण, हत्या जैसे हिंसात्मक आपराधिक गतिविधियों का सहारा लेते हैं।
कारण / आतंकवाद के विभिन्न कारण/ भारत में आतंकवाद — पाकिस्तान जब पंजाब में हिंदू-सिख को लड़ाने में सफल न हो पाया तो उसने काश्मीर में अपनी ने गतिविधियाँ तेज कर दी। पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों की योजनाबद्ध घुसपैठ हुई । नौजवान युवकों को जबरदस्ती आतंक के रास्ते पर डालने के लिए घृणित हथकंडे अपनाए गए । जान-बूझकर कश्मीर में भारत-विरोधी वातावरण का निर्माण किया गया । वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ दिल दहलाने वाले भयंकर अत्याचार किए गए, ताकि वे कश्मीर छोड़कर अन्यत्र जा बसें और काश्मीर पर पाकिस्तान का कब्जा हो सके ।
काश्मीर का आतंकवाद आज कैंसर का रूप धारण कर चुका है। पाकिस्तानी आतंकवादी कभी मुंबई में तो कभी कोलकाता में बम विस्फोट करते हैं, कभी गुजरात के अक्षरधाम में तो कभी कश्मीर की मस्जिद में खून-खराबा करते हैं ।
धार्मिक उन्माद — कुछ धर्मभ्रष्ट लोगों का एक समूह धर्म के नाम पर जेहाद छोड़ देते हैं। इसे धर्मयुद्ध बताने का प्रयास करते हैं ताकि लोग उनके झांसे में आये और उनकी संख्या बढ़े। धर्म एक संवेदनशील मुद्दा है। लेकिन सच्चाई है कि वे लोग अपनी एक स्वतंत्र सत्ता कायम करना चाहते हैं जिसका उदाहरण ‘अफगानिस्तान’ रहा है। धार्मिक उन्मादियों द्वारा अबतक लाखों लोगों की जान ले ली गयी है। वे बड़े-बूढ़े, स्त्रियाँ, बच्चे किसी को भी नहीं छोड़ते हैं। धर्म आपस में मिलकर रहना सीखाता है। सबको सुख और शांति से रहने का संदेश देता है।
राम, कृष्ण, ईसा, महावीर, गौतम बुद्ध, हजरत मुहम्मद आदि के धार्मिक संदेश से यह पता चलता है कि धर्म का आधार ही अहिंसा, सत्य, स्नेह, दया, करूणा, प्रेम, सहिष्णुता आदि है। संसार में जितने भी धर्म है सब प्रेम और भाईचारा सीखाता है। धर्म अच्छा, धर्मांधता बुरा है। लेकिन आतंकवादी धर्म को साम्प्रदायिक जामा पहनाते हैं।
आतंकवाद के प्रभाव / विश्वव्यापी समस्या — आज सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद के प्रभाव में है। अमेरिका, रूस, भारत सभी देश आतंकवाद से त्रस्त हैं। आतंकवाद आज राष्ट्रविरोधी तत्त्व के रूप में सब जगह व्याप्त है। यह क्षेत्रीय स्तर से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक व्याप्त है। आज आतंकवाद इतना शक्तिशाली बन गया है कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली राष्ट्र भी इसका सामना करने में कठिनाई महसूस करता है।
निवारण / आतंकवाद को समाप्त करने के प्रयास — आतंकवाद की गंभीरता के कारण आज विश्व के सभी राष्ट्र इसको संगठित रूप से समाप्त करने के प्रयास में जुटे हैं। भारत में आतंकियों को आत्म-समर्पण कर मुख्य धारा से जुड़ने का प्रलोभन भी दिया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर उनका मुकाबला भी किया जाता है।
इसकी हानियाँ और उपाय — यदि आतंकवाद की समस्या का गंभीरता से समाधान न किया गया तो देश का अस्तित्व खतरे में पड़ा जायेगा। सभी लड़कर समाप्त हो जायेंगे। जिस आजादी को हमारे पूर्वजों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर प्राप्त किया उसे हम आपसी वैर भाव से समाप्त कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेंगे। देश पुनः परतंत्रता के बंधनों से जकड़ जाएगा। आतंकवादी हिंसा के बल से हमारा मनोबल तोड़ रहे हैं। हमें संगठित होकर उसकी ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए। जिससे उनका मनोबल समाप्त हो जाए तथा वे जान सकें कि उन्होंने गलत मार्ग अपनाया है। वे आत्मग्लानि के वशीभूत होकर जब अपने किए पर पाश्चाताप करेंगे तभी उन्हें देश की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जा सकता है। अतः आतंकवाद की समस्या का समाधान जनता एवं सरकार दोनों के मिले-जुले प्रयासों से ही संभव हो सकता है।
उपसंहार— आतंकवाद की समस्या मनुष्यों की बनाई हुई है, इसलिए आसानी से सुलझाई जा सकती है । जिस दिन अमेरिका की तरह पूरा विश्व दृढ़ संकल्प कर लेगा और आतंकवाद को जीने-मरने का प्रश्न बना लेगा, उस दिन यह धरती आतंक से रहित हो जाएगी ।