Class 10th Sanskrit Subjective Chapter 1 (संस्कृत)

Class 10th Sanskrit Subjective (संस्कृत)  बिहार बोर्ड कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 1  का अब्जेक्टिव प्रश्न पीडीएफ़ Bihar Board (Matric मैट्रिक) vvi Subjective in Hindi pdf

Class 10th Sanskrit Subjective

मङ्गलम

1. ‘मंगलम्’ पाठ के आधार पर सत्य का स्वरूप बतायें।

उत्तर – ऋषियों ने कहा है कि सत्य की ही जीत होती है। असत्य की नहीं। ईश्वर की प्राप्ति सत्य से होती है, न कि सांसारिक वासनाओं में डूबे रहने से होती है। संसार माया है तथा ईश्वर सत्य है। ऋषिगण आत्मकल्याण के लिए परम सत्य मार्ग का अनुसरण कर जीव योनि से मुक्ति पाने में सफल होते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा – ‘ सत्य केवल मैं हूँ’ मेरे अतिरिक्त सब असत्य है ।

2. ‘मंगलम्’ पाठ के अनुसार जीव एवं आत्मा के संबंध में क्या कहा गया है?

उत्तर – विद्वानों का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ समुद्र में मिलने पर समुद्र के समान आकार ग्रहण कर लेती है, ठीक उसी प्रकार विद्वान ईश्वर के दिव्य-प्रकाश में मिलकर जीव योनि से मुक्त हो जाता है। अर्थात् नदियों की भांति जीव जब सांसारिक मया मोह को त्यागकर प्रभु के दिव्य – प्रकाश से आलोकित होता है। मनुष्य तभी तक माया में फँसा रहता है जब तक उसे आत्मज्ञान नहीं होता है।

3. ‘मंगलम्’ पाठ के आधार पर आत्मा का स्वरूप/विशेषताएँ बताएँ । 

उत्तर— ‘कठोपनिषद्’ में आत्मा के गूढ़ रहस्य की व्यापक चर्चा है। इसमें आत्मा के विषय में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि आत्मा सूक्ष्म से सूक्ष्मतम तथा विशाल से विशालतम है, जो सभी प्राणियों के हृदय में विराजमान है। जो मनुष्य शोकरहित होकर देखता है वही उसके रहस्य से अवगत होता है। अर्थात् निश्छल भाव वाले संत ही आत्मा के रहस्य को जान पाते हैं।

4. उपनिषद् का क्या स्वरूप है ?

उत्तर – यह वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। उपनिषद् में दर्शनसिद्धांतों का वर्णन है। सभी जगह परमात्मा का गुणगान किया गया है। इसमें उन्हें सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक, सत्यस्वरूप और हमेशा विद्यमान रहने वाला कहा गया है। परमात्मा के द्वारा ही संसार व्याप्त और अनुशंसित है। सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है। ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है।

5. वेदस्वरूप परमपिता परमेश्वर के विषय में क्या कहा गया है?

उत्तर— ऋषियों का मानना है कि ईश्वर ही प्रकाश पुंज है। उन्हीं के प्रकाश से संपूर्ण विश्व आलोकित होता है। वेदों में आदित्यवर्ण सूर्य के समान दिव्य प्रकाश वाला कहा है। वह सत्य सनातन परमब्रह्म है, जिसके रहस्य को जानकर मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है। केवल ईश्वर ही सत्य है, शेष सभी असत्य है।

 

6. महान् लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं?

उत्तर – श्वेताश्वर उपनिषद् में महर्षि वेदव्यास ने ज्ञानी एवं अज्ञानी लोग में अंतर बताया है। अज्ञानी लोग अधिकार स्वरूप एवं ज्ञानी लोग प्रकाश स्वरूप है। महान् लोग इसे समझकर मृत्यु को पार करते हैं। क्योंकि संसार रूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।

7. ईश्वर प्राप्ति ही तपस्या का मूल उद्देश्य क्यों है?

उत्तर- सभी तपस्वियों के तपस्या का मूल उद्देश्य ईश्वर प्राप्ति ही है, क्योंकि इसी से संसार में आवागमन के बंधन से मुक्ति मिलती है। आत्मा के रहस्य के विषय में भी जानकारी मिलती है। सत्य की महत्ता से अवगत है । सत्यमार्ग के द्वारा ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है।

8. नदी और विद्वान् में क्या समानता है?

उत्तर- जिस प्रकार नदियाँ बहती हुई अपने वास्तविक नाम को त्यागकर समुद्र में मिल
पाती है। उसी प्रकार विद्वान व्यक्ति अपने नाम को त्यागकर उस परमेश्वर को प्राप्त कर लेता है। नदी और विद्वान में यही समानता है।

9. आत्मा का स्वरूप कैसा है, वह कहाँ रहती है?

उत्तर – आत्मा का स्वरूप का वर्णन कठोपनिषद् में विस्तार से किया गया है। इसका स्वरूप अणु से भी सूक्ष्म और बड़ा-से बड़ा रूप में है। इसको वश में नहीं किया जा सकता है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य की खोज करते हुए शोक रहित महसूस करता है। आत्मा मनुष्य के हृदय रूपी गुफा में निवास करती है।

10. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर – इस पाठ में शुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्व चार मंत्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुंडक और श्वेताश्वतर में बताया गया है। इन्हें पढ़ने से परमात्मा के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य की खोज की प्रवृत्ति होती है और आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषद विभिन्न वेदों से जुड़े हुए हैं।

 

11. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है ?

उत्तर – महर्षि वेदव्यास मण्डकोपनिषद् में कहते हैं कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं, उसी प्रकार विद्वान पुरुष अपने नाम और रूप अर्थात् अहम् का त्याग करके ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है।

12. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है ?

उत्तर – उपनिषदों को एक आध्यात्मिक ग्रंथ कहा जाता है क्योंकि वे आत्मा और परमात्मा के बीच संबंधों की विस्तृत व्याख्या करते हैं। भगवान सारे विश्व में शांति की स्थापना करते हैं। सभी तपस्वियों का अंतिम लक्ष्य भगवान को प्राप्त करना है।

13. विद्वान् परमात्मा के पास क्या छोड़कर जाते हैं ?

उत्तर – विद्वान परमात्मा के पास अपने अहंकार और घमंड को छोड़कर जाता है।

14. सत्य का मुँह किस पात्र से ढंका है ?

उत्तर – सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ है।

15. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती हैं?

उत्तर – नदियाँ नाम और रूप छोड़कर समुद्र में विलीन हो जाती हैं

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