कवि परिचय – Kavi Parichay

1. गुरु नानक
महान् संत गुरुनानक का जन्म लाहौर के तलबंदी ग्राम में 1460 ई० में हुआ था । इनका जन्मस्थान ‘नानकाना साहब’ कहलाता है जो अब पाकिस्तान में है । इनके पिता का नाम कालूचंद खत्री, माँ का नाम तृप्ता और पत्नी काmनाम सुलक्षणी था । बचपन से ही ये भक्त स्वभाव के थे । पिताजी के द्वारा इन्हें व्यवसाय – युक्त करने का प्रयास किया गया लेकिन इनका मन नहीं लगा । इनका भक्ति के प्रति दिनानुदिन अनुराग बढ़ता गया । इन्होंने हिन्दू-मुसलमान दोनों की समान धार्मिक उपासना पर बल दिया। इन्होंने वर्णाश्रम व्यवस्था और कर्मकांड का विरोध किया । इन्होंने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का प्रचार किया। गुरुनानक ने देशाटन करते हुए मक्का-मदीना तक की यात्रा की। कहा जाता है कि मुगल सम्राट बाबर से भी इनकी भेंट हुई थी । गुरुनानक ने ‘सिख धर्म’ का प्रवर्तन किया । इन्होंने ईश्वर में सच्ची आस्था रखकर भक्ति करने का उपदेश दिया । कहा जाता है सन् 1539 में इन्होंने ‘वाहगुरु’ कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए ।

2. रसखान
रसखान के जीवन सम्बन्ध में सही सूचनाएँ प्राप्त नहीं होतीं, परंतु इनके ग्रंथ प्रेमवाटिका (1610 ई०) में यह संकेत मिलता है कि ये दिल्ली के पठान राजवंश में उत्पन्न हुए थे और इनका रचनाकाल जहाँगीर का राज्यकाल था । जब दिल्ली पर मुगलों का अधिपत्य हुआ और पठान वंश पराजित हुआ, तब ये दिल्ली से भाग खड़े हुए और ब्रजभूमि में आकर कृष्णभक्ति में तल्लीन हो गए। इनकी रचना से पता चलता है कि वैष्णव धर्म के बड़े गहन संस्कार इनमें थे। यह भी अनुमान किया जाता है कि ये पहले रसिक प्रेमी रहे होंगे, बाद में अलौकिक प्रेम की ओर आकृष्ट होकर भक्त हो गए । ‘दो सौ बावन वैष्णव की बातों’ से यह पता चलता है कि गोस्वामी विट्ठल नाथ ने इन्हें ‘पुष्टिमार्ग’ में दीक्षा दी। इनके दो ग्रंथ मिलते हैं- ‘प्रेम वाटिका’ और ‘सुजान रसखान’। ‘प्रेमवाटिका’ में प्रेम निरूपण सबंधी रचनाएँ और ‘सुजान रसखान’ में कृष्ण की भक्ति संबंधी रचनाएँ हैं।

3. घनानंद
घनानंद रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवि थे । इन्हें ‘प्रेम की यातना’ कवि के रूप में भी जाना जाता है। इनका जन्म विक्रम संवत् 1746 ई० में हुआ। ये ‘आनंदघन’ नाम से भी प्रसिद्ध हुए। ये ब्रजभाषा में सुमार थे। इन्हें मुहम्मद शाह रंगीला ने आश्रय प्रदान कर मीर मुंशी के पद पर आसीन किया। इनके काव्य-कृति की मूल प्रेरक उनकी प्रेमिका सुजान थी, जो राजदरबार में नर्तकी थी। इनके छंदों को सुछंदों की उपमा दी गई है। नगेन्द्र के अनुसार इन्होंने 752 कवित सवैया, 1057 पद और 2354 दोहे – चौपाइयाँ की रचना की । ‘घनानंद ग्रंथावली’ विश्वनाथ प्रसाद मिश्र द्वारा सम्पादित की गई। इन्हें ‘वियोग श्रृंगार’ के प्रधान मुक्तक कवियों में एक थे । इन्होंने अपनी रचनाओं में कृष्ण के लिए ‘सुजान’ शब्द का प्रयोग किया। इन्होंने ‘विरहलीला ग्रंथ’ फारसी में आबद्ध है।

4. बदरी नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’
प्रेमघनजी भारतेन्दु युग के महत्वपूर्ण कवि थे । उनका जन्म 1855 ई० में मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में और निधन 1922 ई० में हुआ। वे काव्य और जीवन दोनों क्षेत्रों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपना आदर्श मानते थे। वे निहायत कलात्मक एवं अलंकृत गद्य लिखते थे। उन्होंने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया था। 1874 ईο में उन्होंने मिर्जापुर में ‘रसिक समाज’ की स्थापना की । उन्होंने ‘आनन्द कादम्बिनी’ मासिक पत्रिका तथा ‘नागरी नीरद’ नामक साप्ताहिक पत्र का सम्पादन किया। वे साहित्य सम्मेलन के कलकत्ता अधिवेशन के सभापति भी रहे। उनकी रचनाएँ ‘प्रेमघन सर्वस्व’ नाम से संगृहीत हैं ।

5. सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अलमोड़ा जिले के रमणीय स्थल कौसानी (उत्तराखंड) में हुआ था । जन्म के छह घंटे बाद ही माता सरस्वती देवी का देहान्त हो गया । पिता गंगादत्त पंत कौसटीनी स्टेट में एकाउंटेंट थे । पंतजी की प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुई और फिर बनारस
से उन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा पायी। वे कुछ दिनों तक कालाकांकर राज्य में भी रहे। उसके बाद आजीवन वे इलाहाबाद में रहे। 29 दिसंबर 1977 ई० में उनका निधन हो गया ।

6. रामधारी सिंह ‘दिनकर’
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 23 सितंबर 1908 ई० में सिमरिया, बेगूसराय (बिहार) में हुआ और निधन 24 अप्रैल 1974 ई० में । उनकी माँ का नाम मनरूप देवी और पिता का नाम रवि सिंह था । दिनकरजी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव और उसके आस-पास हुई । 1928 ई० में उन्होंने मोकामा घाट रेलवे हाई स्कूल से मैट्रिक और 1932 ई० में पटना कॉलेज से इतिहास में बी० ए० ऑनर्स किया। वे एच० ई० स्कूल, बरबीघा में प्रधानाध्यापक, जनसंपर्क विभाग में सब रजिस्ट्रार और सब- डायरेक्टर, बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर एवं भागलपुर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर रहे ।

7. स. ही. वात्स्यायन अज्ञेय
अज्ञेय का जन्म 7 मार्च, 1911 ई० में कसेया, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ किंतु उनका मूल निवास कर्तारपुर पंजाब था । अज्ञेय की माता व्यंती देवी थी और पिता डॉ० हीरानंद शास्त्री एक प्रख्यात पुरातत्त्ववेत्ता थे । अज्ञेय की प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ में घर पर हुई। उन्होंने मैट्रिक 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से इंटर 1927 ई० में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से बी० एस-सी० 1929 ई० में फोरमन कॉलेज, लाहौर से और एम० ए० (अंग्रेजी) लाहौर से किया। वे देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। वे बहुभाषाविद् थे । अज्ञेय हिन्दी के आधुनिक साहित्य में एक प्रमुख प्रतिभा थे। 4 अप्रैल, 1987 ई० में उनका देहांत हो गया ।

8. कुँवर नारायण
कुँवर नारायण का जन्म 19 सितम्बर, 1927 ई० में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुँवर नारायण ने कविता लिखने की शुरुआत सन् 1950 के आस-पास की। उन्होंने कविता के अलावा चिंतनपरक लेख, कहानियाँ और सिनेमा तथा अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखी हैं, किन्तु कविता उनके सृजन कर्म में हमेशा मुख्य रही।

9. वीरेन डंगवाल
प्रमुख समकालीन कवि वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त, 1947 ई० में कीर्तिनगर टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में हुआ। मुजफ्फरपुर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद डंगवाल जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम० ए० किया और यहीं से आधुनिक हिन्दी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी० लिट् की उपाधि पायी। वे 1971 ई० तक बरेली कॉलेज में अध्यापन करते रहे। डंगवालजी हिन्दी और अंग्रेजी में पत्रकारिता भी करते रहे। उन्होंने इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्षों तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तंभ लेखन भी किया । वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी हैं ।

10. अनामिका
समकालीन हिन्दी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखनेवाली कवयित्री अनामिका का जन्म 17 अगस्त, 1961 ई० में मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ । उनके पिता श्यामनंदन किशोर हिन्दी के गीतकार और बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे । अनामिका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० किया और वहीं से पीएच० डी० की उपाधि पायी । सम्प्रति, वे सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापिका हैं । अनामिका कविता और गद्य लेखन में एक साथ सक्रिय हैं । वे हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में लिखती हैं। उनकी रचनाएँ हैं— काव्य संकलन : ‘गलत पते की चिट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘अनुष्टुप’ आदि; आलोचना : ‘पोस्ट- एलिएट पोएट्री’, स्त्रीत्व का मानचित्र आदि । संपादन : कहती हैं औरतें (काव्य संकलन ) । अनामिका को राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार, ऋतुराज साहित्यकार सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं ।

11. जीवनानंद दास
बाँग्ला के सर्वाधिक सम्मानित एवं चर्चित कवियों में से एक जीवनानंद दास का जन्म 1899 ई० में हुआ था । रवीन्द्रनाथ के बाद बाँग्ला साहित्य में आधुनिक काव्यांदोलन में गति देनेवाले कवियों में जीवनानंद दास ही हैं। इनके समय में स्वछंदतावाद से अलग हटकर कविता की नई
यथार्थवादी भूमि तलाश करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य था । इस कार्य में जीवनानंद दास की अग्रणी भूमिका रही । उन्होंने बंगाल के जीवन में रच- बसकर उसकी जड़ों को पहचाना और उसे अपनी कविता में स्वर दिया। सिर्फ पचपन साल की उम्र में जीवनानंद दास का निधन एक मर्मांतक दुर्घटना में सन् 1954 में हुआ ।

12. रेनर मारिया रिल्के
रेनर मारिया रिल्के का जन्म 4 दिसंबर 1875 ई० में प्राग, ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी) में हुआ था। इनके पिता का नाम जोसेफ रिल्के और माता का नाम सोफिया था । इनकी शिक्षा-दीक्षा अनेक बाधाओं को पार करते हुए हुई। इन्होंने प्राग और नूनिख विश्वविद्यालयों में शिक्षा पायी । कला और साहित्य में आरंभ से ही इनकी गहरी अभिरुचि थी। संगीत, सिनेमा आदि अनेक कलाओं में इनकी गहरी पैठ थी। कविता के अतिरिक्त इन्होंने गद्य भी पर्याप्त लिखा। इनका एक उपन्यास ‘द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज’ और ‘टेल्स ऑफ आलमाइटी’ कहानी संग्रह
प्रसिद्ध हैं। इनके प्रमुख कविता संकलन हैं-‘लाइफ एण्ड सोंग्स’, ‘लॉरेस सेक्रिफाइस’, ‘एडवेन्ट’ आदि। इनका निधन 29 दिसंबर 1926 ई० में हुआ ।