बढ़ती महंगाई – Badhati Mahangai

भूमिका / महँगाई की मार — वर्तमान समय में निम्न-मध्य वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। यह महँगाई रुकने का नाम ही नहीं लेती, यह तो सुरसा की तरह बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह ही नहीं गया है।

महँगाई की वर्तमान स्थिति / निरंतर बढ़ती महँगाई — महँगाई जानलेवा हो गई है । इसने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। महँगाई दर 8% तक चला गया है । बिहार में 41.4% लोग निर्धन हैं। ऐसी स्थिति में महँगाई की मार उनपर किस तरह पड़ रहीं है, सोच सकते हैं।

महँगाई के कारण — महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं। उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि होना महँगाई का प्रमुख कारण है । माँग और पूर्ति के असंतुलित होते ही महँगाई को अपने पाँव फैलाने का अवसर मिल जाता है। कभी-कभी सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं । जमाखोरी भी महँगाई बढ़ाने का प्रमुख कारण है । जमाखोरी से शुरू होती है कालाबाजारी । दोषपूर्ण वितरण प्रणाली, अंधाधुंध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति तथा सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई के कारण हैं। ये कालाबाजारी पहले वस्तुओं का नकली अभाव उत्पन्न करते हैं और फिर जब उन वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है फिर महँगे दामों पर उसे बेचते हैं।

सरकार के दावे — सरकार नियंत्रित मूल्य की दुकान चलाकर महँगाई नियंत्रण का दावा करती है किन्तु यह सफल नहीं माना जाता है, क्योंकि हरेक वर्ग के हरेक व्यक्ति को यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती साथ ही हरेक वस्तु की नियंत्रित मूल्य की दुकान नहीं है।

महँगाई का जन-जीवन पर प्रभाव आमलोगों पर प्रभाव — रोटी, कपड़ा और मकान प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक आवश्यकताएँ हैं। वह इन्हें पाने के लिए रात-दिन प्रयास करता रहता है । एक सामान्य व्यक्ति केवल इतना चाहता है कि उसे जीवनोपयोगी वस्तुएँ आसानी से और उचित दर पर उपलब्ध होती रहें ।

उपसंहार- कीमतों की वृद्धि एक अभिशाप है। देश को हर हालत में इससे मुक्त करना अनिवार्य है। इसके लिए उत्पादन में वृद्धि करनी चाहिए। उत्पादन – कार्य हर हालत में चलता रहे यही सब लोगों का प्रयास होना चाहिए । व्यापारियों को कालाबाजार का धंधा बंद करना चाहिए। इस कार्य में हर नागरिक का सहयोग अपेक्षित है । फिर, सभी क्षेत्रों में फैले भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद के विरुद्ध जेहाद बोलना अनिवार्य है ।