राष्ट्रीय एकता – Rashtriy Ekta

भूमिका – राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य है – राष्ट्र के सब घटकों में भिन्न विचारों और भिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे का बना रहना अर्थात् देश में भिन्नताएँ हों, फिर भी सभी नागरिक राष्ट्र-प्रेम से ओतप्रोत हों । देश के नागरिक पहले ‘भारतीय’ हों, फिर हिंदू या मुसलमान । राष्ट्रीय एकता का भाव देशरूपी भवन में सीमेंट का काम करता है ।

भारत में राष्ट्रीय एकता का महत्त्व / देश का भौगोलिक स्वरूप — भारत अनेकताओं का देश है । यहाँ अनेक धर्मों, जातियों, वर्गों, संप्रदायों और भाषाओं के लोग निवास करते हैं | यहाँ के लोगों का रहन-सहन, खान-पान और पहनावा भी भिन्न है । भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ भी कम नहीं हैं ।

राष्ट्रीय एकता की बाधाएँ – भारत की राष्ट्रीय एकता के लिए अनेक खतरे हैं । सबसे बड़ा खतरा है – कुटिल राजनीति । यहाँ के राजनेता ‘वोट-बैंक’ बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़े वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं । इस देश के हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बाँटकर रखना चाहते हैं । राष्ट्रीय एकता में अन्य बाधक तत्त्व हैं – विभिन्न धार्मिक नेता, जातिगत असमानता, आर्थिक असमानता आदि ।

बाधाओं को दूर करने के उपाय – प्रश्न यह है कि राष्ट्रीय एकता को बल कैसे मिले ? संघर्ष का शमन कैसे हो ? इसका एकमात्र उत्तर यही है कि देश में सभी असमानता लाने वाले कानूनों को समाप्त किया जाए। मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिंदू कानून आदि अलगाववादी कानूनों को तिलांजलि दी जाए। उसकी जगह एक राष्ट्रीय कानून लागू किया जाए। सभी नागरिकों को एकसमान अधिकार प्राप्त हों। किसी को किसी नाम पर भी विशेष सुविधा या विशेष दर्जा न दिया जाए। भारत में तुष्टिकरण की नीति बंद हो ।

संविधान में स्थिति — हमारे संविधान में सभी धर्मों, जातियों, वर्गों, संप्रदायों के लोगों को समानता का अधिकार दिया गया है। कोई भेदभाव नहीं है।

जातिवाद प्रभाव — सबसे बड़ा खतरा है – कुटिल राजनीति । यहाँ के राजनेता ‘वोट बैंक’ बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों में अलगाव के बीज बोते हैं, कभी आरक्षण के नाम पर पिछड़े वर्गों को देश की मुख्य धारा से अलग करते हैं। इस देश के हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी परस्पर प्रेम से रहना चाहते हैं, लेकिन भ्रष्ट राजनेता उन्हें बाँटकर रखना चाहते हैं। राष्ट्रीय एकता में अन्य बाधक तत्व हैं- विभिन्न धार्मिक नेता, जातिगत असमानता, आर्थिक असमानता आदि ।

उपसंहार — देश में सभी असमानता लाने वाले कानूनों को समाप्त किया जाए। मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिंदू कानून आदि अलगाववादी कानूनों को तिलांजलि दी जाए। उसकी जगह एक राष्ट्रीय कानून लागू किया जाए। सब नागरिकों को एक-समान अधिकार प्राप्त हों। किसी को किसी नाम पर भी विशेष सुविधा या विशेष दर्जा न दिया जाए। भारत में तुष्टिकरण की नीति बंद हो ।